रेत में बसी एक दुनिया:

रेत में बसी एक दुनिया: थार के दिल से एक कहानी सुदूर थार के रेगिस्तान में, जहाँ रेत का हर कण सदीयों की कहानियाँ समेटे हुए है, एक छोटा-सा आशियाना आज भी ज़िन्दगी की सादगी और आत्मनिर्भरता की मिसाल बना खड़ा है। यह कोई आधुनिक कंक्रीट की इमारत नहीं, बल्कि मिट्टी, लकड़ी, और इंसानी रिश्तों से बनी एक ज़िन्दा तस्वीर है — जिसे देख कर महसूस होता है कि वक्त शायद थम गया हो। चित्र में दिखाई दे रही यह बस्ती किसी फिल्म का सेट नहीं, बल्कि हकीकत है। चारों ओर काँटेदार झाड़ियों से घिरी हुई यह बाड़ा, घर की सुरक्षा और निजता दोनों का प्रतीक है। इसके भीतर तीन अलग-अलग तरह की रचनाएँ हैं — एक ईंटों से बनी पक्की दीवारों वाली संरचना, एक परंपरागत गोल झोपड़ी जिसकी छत घास-फूस से बनी है, और एक खुला आँगन जहाँ शायद जीवन अपने सबसे सरल रूप में साँस लेता है। पीछे फैला हुआ रेगिस्तानी इलाका, झाड़ियों से भरा हुआ, जीवन की जिजीविषा का गवाह है। यहाँ के पेड़–खासतौर पर कीकर और बबूल–धूप, धूल और तपिश के बीच भी सिर उठाकर खड़े हैं, मानो ये कह रहे हों कि संघर्ष ही जीवन का दूसरा नाम है। इस घर के द्वार पर खड़ा व्यक्ति, शायद घर का मुख...